गुजरात पुल हादसा 2025: वडोदरा में 9 की मौत, कई घायल
वडोदरा में गम्भीरा-मुजपुर पुल टूटा, कई वाहन नदी में गिरे।
वडोदरा (गुजरात), 9 जुलाई 2025:
गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार सुबह एक दर्दनाक हादसे में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा तब हुआ जब गम्भीरा-मुजपुर पुल का एक हिस्सा अचानक टूट गया, जिससे दो ट्रक, एक बोलेरो SUV और एक पिकअप वैन महिसागर (माही) नदी में गिर गए।
यह पुल पडरा तालुका में स्थित है और अणंद तथा वडोदरा जिलों को जोड़ता है। हादसे के समय सुबह का ट्रैफिक काफी ज्यादा था और पुल पर वाहन धीरे-धीरे रेंग रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने एक तेज़ “क्रैकिंग” आवाज़ सुनी और फिर देखते ही देखते पुल का एक हिस्सा नीचे जा गिरा।
घटनास्थल की स्थिति और राहत कार्य
जैसे ही हादसे की जानकारी मिली, दमकल विभाग, स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं। इसके बाद NDRF की टीमों को भी बुलाया गया। राहत कार्य तेज़ी से शुरू किया गया और नदी में डूबे वाहनों को निकालने का प्रयास किया गया।
अब तक 9 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 3 लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें वडोदरा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अभी भी लापता लोगों की तलाश जारी है।

गुजरात पुल हादसा 2025 : पुल को लेकर पहले भी थे शिकायतें
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल काफी पुराना था और मरम्मत की ज़रूरत लंबे समय से थी। कई बार इसकी हालत को लेकर शिकायत की गई थी लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय निवासी रमेश पटेल ने बताया, “हर बार जब भी भारी वाहन पुल से गुजरते थे, तब पुल में कंपन महसूस होती थी, जो इस हादसे की चेतावनी जैसा था लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई।”
सरकार ने जांच के आदेश दिए
गुजरात सरकार ने हादसे को गंभीरता से लेते हुए उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने घटना पर दुख जताते हुए प्रत्येक मृतक के परिवार को ₹10 लाख का मुआवज़ा देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही घायलों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। यह भी जाने
पुल की तकनीकी स्थिति क्या थी?
जानकारी के अनुसार, यह पुल लगभग 30 साल पुराना था और बीते वर्षों में इसकी कोई संरचनात्मक जांच नहीं कराई गई थी। न तो इसकी फिटनेस रिपोर्ट अपडेट की गई थी और न ही नियमित निरीक्षण हुआ।
सिविल इंजीनियरिंग विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के हादसे “पूर्व चेतावनी” देते हैं—जैसे दरारें, कंपन, पानी का रिसाव—जिन्हें अनदेखा करना खतरनाक होता है।
भारत में पहले भी हुए हैं ऐसे भयावह पुल हादसे
1. मोरबी पुल हादसा (2022, गुजरात)
एक 150 साल पुराना झूला पुल दिवाली के समय टूट गया था। 137 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें लगभग 50 बच्चे शामिल थे।
2. कोलकाता फ्लाईओवर हादसा (2016, पश्चिम बंगाल)
निर्माणाधीन फ्लाईओवर अचानक गिर गया था, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। कारण: निर्माण सामग्री में लापरवाही।
3. दार्जिलिंग बीजनबाड़ी हादसा (2011)
एक लकड़ी का पुल भीड़ का भार सहन नहीं कर सका और गिर गया, जिससे 32 लोगों की मौत हुई थी।
4. सेप्पा पुल हादसा (2011, अरुणाचल प्रदेश)
एक पैदल पुल टूट गया जिसमें 30 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। अधिकतर मृतक बच्चे थे।
5. भागलपुर रेलवे पुल हादसा (2006, बिहार)
150 साल पुराना ब्रिज ट्रेन पर गिर गया था। 34 लोगों की मौत हो गई थी।
क्या हम कुछ सीख रहे हैं?
यह हादसा सिर्फ एक तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और सिस्टम की कमजोर कड़ी को उजागर करता है।
“गुजरात पुल हादसा 2025” एक बार फिर सवाल खड़ा करता है — क्या जान की कीमत पर ही जागेंगे। यह भी देखें
निष्कर्ष: गुजरात पुल हादसा 2025 क्या बताता है?
हर बार हादसे के बाद जांच, मुआवज़ा और सख्ती की बात होती है, लेकिन लंबी अवधि के समाधान नहीं दिखते। क्या की समय-समय पर जांच, डिजिटल रिकॉर्डिंग, और टेक्निकल ऑडिट अनिवार्य होने चाहिए।
देश में कई पुल ऐसे हैं जो उम्र पूरी कर चुके हैं, फिर भी उपयोग में हैं। यह हादसा एक चेतावनी है कि इंफ्रास्ट्रक्चर को समय रहते सुधारा न गया, तो कीमत जान से चुकानी पड़ेगी।
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