भारत-अमेरिका ट्रेड डील: राकेश टिकैत का संदेश।

भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर राकेश टिकैत की चेतावनी: किसानों के हितों की अनदेखी न हो।

भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस संभावित समझौते पर देश भर में चर्चा तेज हो गई है। इसी बीच, किसान नेता राकेश टिकैत ने इस डील को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने साफ कहा है कि इस डील में कृषि और डेयरी सेक्टर को शामिल करना भारतीय किसानों के हितों के खिलाफ होगा। उनका कहना है कि बिना किसानों से परामर्श किए इस तरह के फैसले नहीं किए जाने चाहिए।

राकेश टिकैत ने कहा कि अगर भारत सरकार भारत-अमेरिका ट्रेड डील के तहत कृषि और डेयरी सेक्टर को अमेरिकी बाजार के लिए खोलती है, तो इससे देश के किसानों का भविष्य संकट में पड़ जाएगा। उनके अनुसार, इस फैसले से किसान अपने ही खेत में मजदूर बनने को मजबूर हो जाएगा।

राकेश टिकैत का किसानों के लिए बड़ा संदेश

किसान नेता राकेश टिकैत का मानना है कि अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वह अपने कृषि और डेयरी बाजार को अमेरिका के लिए खोले। टिकैत ने चेताया कि अगर सरकार ने किसानों के हितों को नजरअंदाज किया, तो यह भारत के ग्रामीण समाज और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद घातक होगा। उनका कहना है कि भारत का किसान पहले से ही घाटे में खेती कर रहा है और अगर विदेशी कंपनियों को भारतीय बाजार में प्रवेश मिल जाता है, तो किसान पूरी तरह से कमजोर हो जाएगा।

भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर राकेश टिकेत की राय।

अमेरिका की शर्तों पर किसानों पर दबाव

राकेश टिकैत ने अपने बयान में बताया कि अमेरिका की योजना भारत में कृषि टैक्स कम करवाने की है ताकि उनके कृषि उत्पाद भारतीय बाजार में सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सकें। इसका सीधा नुकसान भारतीय किसानों को होगा। टिकैत ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही कई देशों पर टैरिफ बढ़ाने की योजना बना चुके हैं। हालांकि, इस पर फिलहाल विराम लगा है, लेकिन यह स्थिति ज्यादा दिन नहीं टिकेगी। जल्द ही अमेरिका इस दिशा में कोई बड़ा फैसला ले सकता है।

भारत-अमेरिका ट्रेड डील के तहत अगर कृषि और डेयरी सेक्टर को शामिल किया गया, तो इसका सीधा प्रभाव देश के करोड़ों किसानों और छोटे उत्पादकों पर पड़ेगा। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर हो जाएगी।

किसान मजदूर बन जाएगा

टिकैत का मानना है कि अगर इस डील के बाद अमेरिकी कंपनियां भारत के कृषि और डेयरी बाजार में उतरती हैं, तो भारतीय किसान बाजार में टिक नहीं पाएंगे। इससे किसानों को मजबूरी में अपने ही खेतों में मजदूरी करनी पड़ेगी। टिकैत ने कहा कि भारतीय ग्रामीण समाज का आधार कृषि और पशुपालन है। यदि इस क्षेत्र को विदेशी कंपनियों के लिए खोला गया, तो देश की खाद्य सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी।

 

पीएम मोदी से तीन अहम मांगें

राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं:

1. भारत-अमेरिका ट्रेड डील में कृषि और डेयरी सेक्टर को पूरी तरह से बाहर रखा जाए।


2. किसानों और पशुपालकों से बिना परामर्श कोई भी अंतरराष्ट्रीय समझौता न किया जाए।


3. कोई भी समझौता आत्मनिर्भर भारत की सोच के खिलाफ नहीं होना चाहिए।

टिकैत ने कहा कि यह डील यदि अमेरिकी दबाव में होकर की जाती है, तो यह देश के किसानों के आत्मसम्मान और भविष्य दोनों के लिए नुकसानदायक होगी।

दोहरी मार का खतरा

राकेश टिकैत का मानना है कि इस डील से भारतीय किसान दोहरी मार झेलेंगे। एक तरफ उत्पादन लागत बढ़ेगी, दूसरी तरफ बाजार में अमेरिकी सस्ते कृषि उत्पाद उपलब्ध होंगे, जिससे भारतीय किसानों को प्रतिस्पर्धा में नुकसान होगा। टिकैत ने कहा कि ऐसी स्थिति में भारत का किसान अपनी जमीन और मेहनत के बावजूद आर्थिक रूप से कमजोर होता चला जाएगा। यह भी देखें 

निष्कर्ष

भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर किसान नेता राकेश टिकैत की चेतावनी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। टिकैत का साफ कहना है कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय समझौते में भारतीय किसानों के हितों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। अगर कृषि और डेयरी सेक्टर को इस डील में शामिल किया गया, तो इसका सीधा असर देश की खाद्य सुरक्षा, किसानों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

सरकार के सामने यह एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वह इस समझौते को अंतिम रूप देते समय भारत के किसानों के हितों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करे। टिकैत की चेतावनी समय रहते सुनना देश के हित में होगा।

       समाप्त [ ]

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